भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाल पहेलियाँ-4 / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 24 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> '''१. मंदिर, मस्जिद, गिर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

१.

मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरुद्वारा
सभी जगह सम्मान यह पाए ।
पतली सी है काया जिसकी,
जलती हुई महक फैलाए ।

२.

अलग - अलग रहती है दोनों
नाम एक सा प्यारा
एक महक फैलाए जग में,
दूजी करे उजियारा ।

३.

दिन-रात मैं चलती रहती,
ना लेती थकने का नाम ।
जब भी पूछो समय बताती,
देती बढ़ने का पैगाम ।

४.

जैसे हो तुम दिखोगे वैसे
मेरे भीतर झाँको,
झट से दे दो उत्तर इसका
खुद को कम ना आँको ।

५.

तमिलनाडु, दक्षिण भारत के
वैज्ञानिक ने किया कमाल ।
अग्नि और पृथ्वी मिसाइल
जिनकी देखो ठोस मिसाल ।

उत्तर :

१. अगरबत्ती
२. धूप
३. घड़ी
४. दर्पण
५. डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल क़लाम