भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:37, 26 अक्टूबर 2009 का अवतरण (फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार / फ़ैज़ का नाम बदलकर फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कर दिया गया है)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार, नहीं कोई नहीं
राहरव होगा, कहीं और चला जाएगा

ढल चुकी रात, बिखरने लगा तारों का गुबार
लड़खडाने लगे एवानों में ख्वाबीदा चिराग़

सो गई रास्ता तक तक के हर एक रहगुज़र
अजनबी ख़ाक ने धुंधला दिए कदमों के सुराग़
गुल करो शम'एं, बढ़ाओ मय-ओ-मीना-ओ-अयाग़

अपने बेख्वाब किवाडों को मुकफ्फल कर लो
अब यहाँ कोई नहीं , कोई नहीं आयेगा...