भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैसे कहूँ / अजित कुमार

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:41, 1 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर बात जो कही थी,
हर काम जो किया,
हर पीर जो सही थी,
हर नाम जो लिया...
कैसे कहूँ, अनामे।
हर एक में तुम्हीं थीं,
विपदा न कम रही थी,
संघर्ष में जिया।