भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सिक्किम / मनीष मिश्र
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:53, 2 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनीष मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> हिमालय के ऊँचे अ…)
हिमालय के ऊँचे अटाले पर
दिपदिपाता गंगटोक,
छांगू में बर्फ की छत पर
सिमराती है धूप,
बौद्ध शान्ति की अनुगूँज में
लिपटा है रूमटेक
उनींदा रंगपोह हड़बड़ाकर उठता है
देखते ही टूरिस्ट टैक्सी ।
तिस्ता बदलती है कई रास्ते
सिक्किम कई चेहरे ।