भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन दीप / महादेवी वर्मा
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:16, 2 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महादेवी वर्मा }} {{KKCatKavita}} <poem> किन उपकरणों का दीपक, कि…)
किन उपकरणों का दीपक,
किसका जलता है तेल?
किसकि वर्त्ति, कौन करता
इसका ज्वाला से मेल?
शून्य काल के पुलिनों पर-
जाकर चुपके से मौन,
इसे बहा जाता लहरों में
वह रहस्यमय कौन?
कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
है अतीत तम घोर ;
कौन बता देगा जाता यह
किस असीम की ओर?
पावस की निशि में जुगनू का-
ज्यों आलोक-प्रसार।
इस आभा में लगता तम का
और गहन विस्तार।
इन उत्ताल तरंगों पर सह-
झंझा के आघात,
जलना ही रहस्य है बुझना -
है नैसर्गिक बात !