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दृश्य और दर्शन के बाहर / अनूप सेठी

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दृश्य

ग्लास टैंक में मछली
घबरा कर होश खो कर
लुढ़कती लपकती टकराती भागती
देखी हमने ग्लास टैंक में मछली

दर्शन

मछली मर जाएगी
इस कारा से बाहर कहाँ जाएगी
बूढ़ी हो गई बेचारी जी नहीं पाएगी

दृश्य

स्टेशन पर औरत मैली—कुचैली
पब्लिक फोन का चोंगा पकड़े
बुक्का फाड़ रोती नंबर मिलाती
दहाड़ मार कर माँ को बुलाती
औरत की उम्र बड़ी थी
रुलाई बचपन की खोई हुई कड़ी थी

दर्शन

औरत पागल थी
उसको खबर नहीं क्या करती थी
मरना जीना रोना हँसना पगला जाना
चलता रहता है घबराना क्या

दृश्य और दर्शन के बाहर

बचा रहा जाता है बार बार हर बार बहुत कुछ
हम बेबस बदहवास दौड़ रहे
मछली रोती जाती
औरत डूब रही है
गिर जाएँगे घिर जाएँगे
बचपन की छड़ी सहारा देती
बगल खड़ी है
लेकिन दुनिया
दहलाती दमकाती
बहुत बड़ी है.