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नए बीज़ों की जगह / अमिता प्रजापति
Kavita Kosh से
विरोधों की रिमझिम बारिश
मन की ज़मीन तर करती है
क्रोध एक ट्रैक्टर की तरह
खड़खड़ाता हुआ
यहाँ से वहाँ दौड़ता है
उखाड़ता घास-फूस
उथलाता मिट्टी को
इस तरह बनती है
नए बीज़ों की जगह
यह अगली फ़सल की तैयारी है