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पूरब और पश्चिम / अमिता प्रजापति
Kavita Kosh से
कल लड़े थे हम
दुश्मनी के साक्षात प्रतीक बन
खड़े थे हम
आज प्यार किया हमने
नए बने प्रेमियों की तरह
ये दुश्मनी और ये प्रेम
घर में बने दो दरवाज़े हैं
सरसराया करते हैं हम
जिनमें हवाओं की तरह...।