भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम-1 / अर्चना भैंसारे

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:16, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमने मेरी
अल्हड़ धारा को
समाहित किया
ख़ुद में
और दिया
समुद्र-सा विशाल
अस्तित्व
ख़ुद के भीतर...