भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रंग-2 / जया जादवानी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:59, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हद से हद खड़ी हो सकती हूँ
असीम के आँगन में
घेरती हुई कम से कम जगह
हद से हद घुल सकती हूँ
लाल रंग पर गिरी
एक बूंद सी
हद से हद देखी जा सकती हूँ
ब्रश की नोक से
एकाकार से ठीक पहले
चौंक पड़ती नीली बूंद नींद में अपनी
घुलने लगती है चुपचाप