भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देखना / जया जादवानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:17, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण ("देखना / जया जादवानी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
तुम्हें देखना
देखना है बार-बार देखी हुई प्रकृति को
तुम्हें पाना
पा लेना है बार-बार पाए हुए को
एक दूसरे ही रंग में उत्तप्त।