भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्त्रियाँ-4 / जया जादवानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:31, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)
यूँ सारी उम्र शीत में
ठिठुरने के डर से
घर के भीतर घुसे रहने से
बेहतर है
शीत में ठिठुर कर मर जाना।