भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इतना सा वह / जया जादवानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:33, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)
इतना ही था वह
जितना बर्फ़ में ताप
और मैंने
उम्र सारी गुज़ार दी
बर्फ़ लपेटे हुए।