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ख़ौफ़ / आकांक्षा पारे
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मैं
नहीं डरती मौत से
न डराता है मुझे उसका ख़ौफ़
मैं
नहीं डरती उसके आने के अहसास से
न डराते हैं मुझे उसके स्वप्न
मैं डरती हूं उस सन्नाटे से
जो पसरता है
घर से ज़्यादा दिलों पर
डरती हूँ उन आँसुओं से
जो दामन से ज़्यादा भिगोते हैं मन
डरती हूँ माँ के चेहरे से
जो रोएगा हर पल
मुस्कराते हुए भी।