Last modified on 9 नवम्बर 2009, at 02:23

एक था मछुआ / अवतार एनगिल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:23, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उस चौकोर नन्हे तालाब में
डालता है
एक भूखा मछुआ
डालता है
अपना मटियाला-जलयाला जाल
और छटपटाती है
एक नन्हीं मछली
खिंचते हुए जाल से

मछली को डलिया में डालकर
मछुए ने
आँखें फेर ली हैं
एकाएक
पागल-सा पलटकर
औंधा कर देता है मछुआ
अपना टोकरा
उसी पारदर्शी पानी में
फिर,डरा-डरा-सा
देखता है
तिरछी आँख से
शफ्फाक पानी में डूबती-सी मछली...
कहीं मर तो नहीं गई?

अब लग रही है मछली
मानवीय मुण्ड-सी
तैरती है ताल-----आर-पार
कितनी समता है
मछली और मानवीय मुण्ड में
अरे ! अब तो वह बौनी-सी बाला है
बालिश्त भर की
फैला दिये हैं जिसने
पारदर्शी पानी में
अपने नन्हें पंख
लगता है
फिर से जन्म ले रही है

एकाएक निकलती है
पानी को काटती
तरंगों को जन्म देती
सर फुलाती
पूँछ फटकारती
एक रक्षक माँ मछली

और घुटनों तक
पानी में डूबा
जल छपाकता
भागता है
हत्यारा मछुआ,
---सपने पर आधारित