Last modified on 11 नवम्बर 2009, at 20:52

चीड़ के मगरूर पेड़ / परवीन शाकिर

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:52, 11 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चीड़ के मगरूर पेड़
जिनकी आँखें
अपनी क़ामत<ref>देह</ref> के नशे में सिर्फ़ ऊपर देखती हैं
अपनी गर्दन के तनाव को कभी तो कम करें
और नीचे देखें
वो घने बादल जो उनके पाँव को छूकर गुज़र जाते हैं
जिनको चूम सकते हैं
वो पौधे
प्यार के इस वालिहाना<ref>प्रेमपूर्वक</ref> लम्स से कैसे निखर आए

शब्दार्थ
<references/>