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सखी री मोरा बोलन लागे / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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सखी री मोरा बोलन लागे।
मनु पावस कों टेरि बोलावत, तासों अति अनुरागे।
किधौं स्याम-घन देखि देखि कै, नाचि रहे मद पागे।
’हरीचंद’ बृजचंद पिया तुम आइ मिलौ बड़-भागे॥