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आजु तन नीलाम्बर अति सोहै / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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आजु तन नीलाम्बर अति सोहै।
तैसे ही केश खुले मुख ऊपर देखत ही मन मोहै॥
मनु तन मन लियो जीति चंद्रमा सौतिन मध्य बँध्यो है।
कै कवि निज जिजमान जूथ में सुंदर आइ बस्यो है॥
श्री जमुना-जल कमल खिल्यो कोउ लखि मन अलि ललच्यो है।
जीति नमोगुन कों ताके सिर मनु सतगुन निवस्यो है॥
सघन तमाल कुंज में मनु कोऊ कुंद फूल प्रगट्यो है।
’हरीचंद’ मोहन-मोहनि छबि बरनै सो कवि को है॥