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आरती साईबाबा / आरती

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   आरती का मुखपृष्ठ

आरती साईबाबा ।
सौख्यदातारा जीवा ।
चरणरजतळीं निज दासां विसावां ।
भक्तां विसावा ॥धृ॥
जाळुनियां अनंग ।
स्वस्वरुपी राहे दंग ।
मुमुक्षुजना दावी ।
निजडोळां श्रीरंग ॥१॥
जया मनीं जैसा भाव ।
तया तैसा अनुभव ।
दाविसी दयाघना ।
ऐसी ही तुझी माव ॥२॥
तुमचें नाम ध्यातां ।
हरे संसृतिव्यथा ।
अगाध तव करणी ।
मार्ग दाविसी अनाथा ॥३॥
कलियुगीं अवतार ।
सगुणब्रह्म साचार ।
अवतीर्ण झालासे ।
स्वामी दत्त दिगंबर ॥४॥
आठा दिवसां गुरुवारी ।
भक्त करिती वारी ।
प्रभुपद पहावया ।
भवभय निवारी ॥५॥
माझा निजद्रव्य ठेवा ।
तव चरणसेवा ।
मागणें हेंचि आता ।
तुम्हा देवाधिदेवा ॥६॥
इच्छित दीन चातक ।
निर्मळ तोय निजसुख ।
पाजावें माधवा या ।
सांभाळ आपुली भाक ॥७॥