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आप-2 / दुष्यन्त
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आपकी ख़ुशबू
आपकी आवाज़
आपका अहसास
जैसे नए फूल हों
मौसम के
जो भर देते हैं निनाद
ज़िन्दगी में।
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा