भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समय-4 / दुष्यन्त

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:18, 16 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समय नहीं है
घड़ी में
घंटा-मिनट-सैकंड की
सूई का मोमेंटम

समय है इतिहास के पन्नों पर
अंकित होते
आखर-आखर
दुख, सुख, खुशियाँ, नाकामयाबियाँ और
कामयाबियाँ...

सचमुच समय नहीं है
केवल
घड़ी की सूईयों में क़ैद।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा