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प्रेम-4 / दुष्यन्त

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कहते हैं
आज भी जीवित है
बोधिवृक्ष

खड़ा है वैसे ही
सदियों के बाद भी

हम-तुम
रहेंगे-न रहेंगे
हमारा प्रेम रहेगा

बोधिवृक्ष की तरह।


मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा