भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल / अमीर खुसरो
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:44, 16 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमीर खुसरो }} {{KKCatKavita}}<poem> हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल…)
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल, बाइस ख्वाजा मिल बन बन आयो
तामें हजरत रसूल साहब जमाल। हजरत ख्वाजा संग..।
अरब यार तेरो (तोरी) बसंत मनायो, सदा रखिए लाल गुलाल।
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल।