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तुझे उदास लिया ख़ुद भी सोग़वार हुए / फ़राज़

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तुझे उदास किया ख़ुद भी सोगवार<ref>शोकग्रस्त</ref>हुए
हम आप अपनी महब्बत में शर्मसार<ref>लज्जित</ref>हुए

बला की रौ थी नदीमाने-आबला-पा<ref>पाँव के छाले वालों के पास बैठने वाला</ref>को
पलट के देखना चाहा कि ख़ुद ग़ुबार<ref>धूल</ref>हुए

गिला उसी का किया जिससे तुझ पे हर्फ़ आया<ref>इल्ज़ाम आया</ref>
वगरना<ref>अन्यथा</ref> यूँ तो सितम हम प’ बे-शुमार<ref>अनगिनत</ref> हुए

ये इंतकाम <ref>बदला</ref>भी लेना था ज़िन्दगी को अभी
जो लोग दुश्मने-जाँ <ref>जानी-दुश्मन</ref>थे वो ग़मगुसार <ref>ढाढस बँधाने वाले</ref>हुए

हज़ार बार किया तर्क़े-दोस्ती<ref>मित्रता तोड़ना</ref>का ख़याल<ref>विचार</ref>
मगर ‘फ़राज़’ पशेमाँ<ref>लज्जित</ref>हरेक बार हुए

शब्दार्थ
<references/>