भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्त्री-1 / जया जादवानी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:02, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण ("स्त्री-1 / जया जादवानी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तहखानों में तहखाने
सुरंगों में सुरंगें
ये देह भी अजब ताबूत है
ढूंढ़ लेती हूँ जब ऊपर आने के रास्ते
ये फिर वापस खींच लेती है