भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निश्चिंत / रामधारी सिंह "दिनकर"
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:40, 20 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=नये सुभाषित / रामधा…)
व्योम में बाकी नहीं अब बदलियाँ हैं,
मोह अब बाकी नहीं उम्मीद में,
आह भरना भूल कर सोने लगा हूँ
बन्धु! कल से खूब गहरी नींद में।