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और एक इम्तिहान बाकी है / संकल्प शर्मा
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और एक इम्तिहान बाक़ी है,
इसलिए मुझमें जान बाक़ी है।
सर से हर बोझ हट गया है मेरे,
सिर्फ़ एक आसमान बाक़ी है।
मैं खतावार हूँ तेरा लेकिन,
मेरे दिल का बयान बाक़ी है।
मेरे हाथों में लकीरें तो नहीं,
तेरे लब का निशान बाक़ी है।
मैं अगर ना रहा तो ग़म कैसा,
अभी तो ये जहान बाक़ी है।
ज़ख्म तो कब का भर गया लेकिन,
ज़ख्म की दास्तान बाक़ी है।