दिन ऐसे आ रहे हैं
सूरज से शिकवा करते भी डर लगता है
किसी को कत्ल होने से बचाने जो चले थे
सिर झुकाये खड़े हैं
दिन ऐसे आ रहे हैं
कोयल की आवाज़ सुन टीस उठती
फिर कोई गीत बेसुरा हो चला
दिन ऐसे आ रहे हैं
भू भू हा हा ।
दिन ऐसे आ रहे हैं
सूरज से शिकवा करते भी डर लगता है
किसी को कत्ल होने से बचाने जो चले थे
सिर झुकाये खड़े हैं
दिन ऐसे आ रहे हैं
कोयल की आवाज़ सुन टीस उठती
फिर कोई गीत बेसुरा हो चला
दिन ऐसे आ रहे हैं
भू भू हा हा ।