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समझौतों की भीड़भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया / मुनव्वर राना
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समझौतों की भीड़ -भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया
देख शिकारी तेरे कारन एक परिंदा टूट गया
पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा लेलिन शीशा
घर का बोझ उठाने वाले ब्च्चे की तक़दीर न पूछ
बचपन घर से बाहर निकला और खिलौना टूट गया
किसको फ़ुर्सत <ref>अवकाश</ref>इस महफ़िल में ग़म की कहानी पढ़ने की
सूनी कलाई देख के लेकिन चूड़ी वाला टूट गया
पेट की ख़ातिर फ़ुटपाथों पे बेच रहा हूँ तस्वीरें
मैं क्या जानूँ रोज़ा है या मेरा रोज़ा टूट गया
ये मंज़र<ref>दृश्य</ref>भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में
टूटा-फूटा नाच रहा है अच्छा-ख़ासा टूट गया
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