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रेत पर नाम लिखता हूँ / प्रदीप कान्त
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रेत पर नाम लिखता हूँ
अपना अन्जाम लिखता हूँ
कद से बड़े हुऐ साये
जीवन की शाम लिखता हूँ
सिमटने लगी दूरियाँ जब
फासले तमाम् लिखता हूँ
हैसियत है तो आइए
मैं अपना दाम लिखता हूँ