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रात के अन्धेरे में ट्रैक्टर / शलभ श्रीराम सिंह
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अपने बड़े बेटे संजय के लिए
रात के अन्धेरे में
ट्रैक्टर चल रहा है की बड़बड़ा रहा है आसमान
किसान का बेटा काम पर है
असाढ़ के लाम पर तैनात जवान सिपाही
पत्नी प्रतीक्षा कर रही है घर में जला कर दिया
कि अब थमे-अब थमे ट्रैक्टर की आवाज़
कि आसमान की बडबड़ाहट, कि उसकी बेचैनी
निगाह की तरह लपकती है ट्रैक्टर की रोशनी
बुझ जाए दरवाजे पर पहुँच कर और...
बखार के बेचैन धान अँखुओं के मुँह
देखना चाहते हैं
माटी की गोद में अपना पुनर्जन्म
हरियाली में ढलना चाहते हैं एक बार
धूप का रंग लेने से पहले
दलान में जाग रहा है घर का सबसे बड़ा पुरखा
घर में सो रहा है सब से छोटा बच्चा
खेत में बड़बड़ा रहा है आसमान
कि ट्रैक्टर चल रहा है
रात के अन्धेरे में