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पिता-2 / चंद्र रेखा ढडवाल

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 पिता (दो)

पिता मैंने कल्पना की तरलता में
पले/बढ़े ये स्वप्न नहीं देखे
मैंने तो मध्याह्न में
कागज़ की पुड़िया में लिपटी
गेहूँ की साबुत रोटी पर
सालन भी नहीं ढूँढा
सफ़ेद उजले कपड़ों की कतारों
और हँसते खेलते स्वस्थ बच्चों में
फ़र्क़ महसूस नहीं किया.