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हक़ तुझे बेशक है, शक से देख, पर यारी भी देख / नूर मुहम्मद `नूर'

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हक़ तुझे बेशक है, शक से देख, पर यारी भी देख
ऐब हम में देख पर बंधु! वफ़ादारी भी देख

हम ही हम अक्सर हुए हैं खेत, अपने मुल्क में
फिर भी हम ज़िंदा, यहीं हैं, ये तरफ़दारी भी देख

सरफ़रोशी की, लुटाया जिस्मो-जाँ, इल्मो-फ़ुनून
और बदले में ख़रीदा क्या, ख़रीदारी भी देख

लड़ रहे हैं और हम लड़ते रहेंगे तीरगी!
'नूर' के हिस्से का ये चकमक जिगरदारी भी देख