भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
संघर्षों की राह में / रमा द्विवेदी
Kavita Kosh से
Ramadwivedi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:54, 5 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी}} जब अपने दम-खम से,<br> कोई नारी बन जा…)
जब अपने दम-खम से,
कोई नारी बन जाती है महान।
तब करता है गौरव उस पर,
यह सारा का सारा जहान॥
हमें समाज की इस धारणा को,
प्रयास करके बदलना होगा।
बेटियों के आगे बढ़ने में,
हमें उनका संबल बनना होगा॥
ताकि उनकी राह भी,
कुछ आसान हो जाए।
संघर्षों की राह में वो,
खुद को अकेला न पाए॥