भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भोला शंकर-3 / कुमार सुरेश
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:17, 7 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार सुरेश }} {{KKCatKavita}} <poem> सर्द कँपकपी भरे दिन की …)
सर्द
कँपकपी भरे दिन
की सुबह
बच्चे को माँ
काम पर जाने से पहले
फटी कमीज पहनाकर
काला टीका लगाती है
विश्वास है उसे
काले टीके की ताक़त
बच्चे को
सर्दी से
बचाती है