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पुण्य-ज्योति / रामकुमार वर्मा

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नीलाकाश के शरीर से
साँस सी निकलकर
यह चंद्र-कला मेरी पृथ्वी में
जीवन डाल रही है।
हिम से धवल गिरि श्रृंगों पर
यह भक्तों के पवित्र मानस में
बसी हुई पूण्य-ज्योति के समान है।