भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाओ मधु प्रिय गान / रामकुमार वर्मा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:36, 10 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकुमार वर्मा |संग्रह=चित्ररेखा / रामकुमार वर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाओ मधु प्रिय गान!
सुनने को यह नभ नीरव है
गाओ मधु प्रिय गान॥
नव तरु ने अपना हृदय आज
पल्लव-पल्लव कर दिया आह!
जिससे वह छू ले एक बार
सु-मधुर सु-राग का सु-प्रवाह;
यह अनिल बना है अंग-हीन
छिपकर छूने की हुई चाह,
करने को नव छवि प्रतिबिम्बित
यह सरिता है उज्ज्वल अथाह;
मेरे जीवन के शतदल में
भर दो सुरभि महान॥
गाओ मधु प्रिय गान!