भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तितली / कुँअर रवीन्द्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:46, 13 दिसम्बर 2009 का अवतरण ("तितली / कुँअर रवीन्द्र" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे हाथों से छूट कर
दूर उड़ गयी थी वह तितली
मगर अब तक
उसके पंखों के नीले,सुनहरे काले रंग
मेरी उँगलियों में चिपके हुए हैं

मै रोज़ ताकता हूँ उन्हें
और उस बाग़ीचे को
यादों में ढूँढ़ता रहता हूँ
जहाँ मैंने उसे पकड़ा था
चुपके से
रातरानी की झाड़ी के पास
लुका-छिपी खेलते हुए

तब मै पूरा का पूरा
मीठी ख़ुशबू से भर गया था
लिसलिसा-सा गया था मै
मेरी उँगलियाँ भी

उसके पंखों का रंग लिए
आज भी कभी-कभी
लिसलिसा जाता हूँ मै
ख़ुशबू से भर जाता हूँ मै
आज भी