भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छोटी औरत / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 13 दिसम्बर 2009 का अवतरण
क़दमताल करती है औरत
कभी तेज़ कभी धीमे
जैसी बजती है धुन
नाचती है उसपर
कभी हँस कर
कभी रो कर
पाँवों को एक क्रम से
उठाने-बिठाने के
उसके बेढब प्रयासों को देखते
उससे बड़ी उम्र की एक औरत
मुँह बिचकाती है
उसके पल्लू को
अँगुली से लिपेटती
साथ-साथ ठुमकती है
घर की एक
छोटी औरत.