भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दूर या पास / माखनलाल चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:14, 14 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी |संग्रह=समर्पण / माखनलाल चतु…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यौवन के छल की तरह दूर, कलिका से फल की तरह दूर,
सीपी की खुली पंखुड़ियों से, स्वाती के जल की तरह दूर,
ताड़ित तरंग की तरह पास, अधकटे अंग की तरह पास,
उल्लास-श्वास की तरह? नहीं, पागल उलास की तरह पास,
मत रहे नजर की तरह की दूर,
रहे अरे पलक की तरह पास,
मत रह तारों की तरह दूर, ठुकरा तर्जनि की तरह पास।

रचनाकाल: खण्डवा-१९२६