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गति-दाता / माखनलाल चतुर्वेदी
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जागृति के प्रलय-पुंज
गति के गति-दाता।
ऐ गुणेश ऐ गणेश
ऐ महेश के निदेश
श्वेत केश श्वेत वेश
हिमगिरि-सा श्वेत देश,
झर झर निर्झर,
नगाधिराज के अशेष लेष!
ऐ महान, ऐ सुजान,
तांडव-पति-दिव्य-दान,
तारक-त्रैलोक्य,
क्रान्ति कारिणि मति-दाता।
जागृति के प्रलय-पुंज
गति के गति-दाता।
तू ’तुलसी’ तु ही ’सूर’
हर ले क्षिति का गुरूर,
तुझ में बोला ’रवीन्द्र’
’तुकाराम’ के हुजूर
’मीरा’ के मनमोहन
सहजो के नाथ-नाथ
पायें तेरा ’प्रसाद’
कर ’कबीर, को सनाथ
’मैथिलि’ तेरी जबान
’हरि’ का तू मधुर गान
तीर तू कमान तू
मैं "लक्ष्य-बेध" गाता।
जागृति के प्रलय-पुंज
गति के गति-दाता।
रचनाकाल: हिरनखेड़ा-१९२६