भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँधियों से थे अनमने तिनके / विनोद तिवारी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:36, 18 दिसम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आँधियों से थे अनमने तिनके
कौन आया बुहारने तिनके

ये ज़माने की ठोकरों में पले
आँख की किरकिरी बने तिनके

कोई लाया था एक चिन्गारी
फूँक डाले हैं आग ने तिनके

बोझ इस्पात का सँभालेंगे
एक-जुट हो के जो तने तिनके

घोंसले वालो आ गए वहशी
चीख़ते ख़ून में सने तिनके