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अंत में / मोहन राणा
Kavita Kosh से
बंद कर देता हूँ
अपने को सुनना
कानों से हाथों को हटाकर
बंद कर देता हूँ
कुछ कहना
शुरू करता हूँ
जानना
बिना किताबों के
बिना उपदेशों के
बिना दिशा सूचक के
बिना मार्गदर्शक के
बिना नक्शे के
बिना ईश्वर के
बस जानना
रचनाकाल: 25.10.2004