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झोला / रश्मि रेखा
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यह झोला
पहिए के बाद का सृष्टि का सबसे बड़ा अविष्कार है
कभी पड़ी होगी जरूरत कैंची, सुई और धागे की एक साथ
समय की फिसलन से कुछ चीज़ें बचा लेने की इच्छाओं ने मिल-जुलकर डाली होगी नींव झोले की।
पर इससे पहले बनी होगी गठरियाँ
कुछ सौगात अपनों के लिए
बांध ले जाने की ख्वाहिश में
उम्र के भावों में पीछा करते अनुभवों को
मुश्किलें आसान करने के कुछ खास नुस्खों को
दूसरों के लिए बचाने की खातिर ही
बनी होगी तह दर तह
चेहरों पर झुर्रियों की झोली
जिसे बांट देना चाहता होगा हर शख्स
जाने से पहले
कि आगे भी बची रह सके उसकी छाप और परछाई।