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प्रेम-3 / रविकान्त

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तुम्हारे ख़िलाफ़ सुनी बहुत-सी बातों पर
मुझे यक़ीन भी है।
पर उनकी चर्चा मैं तुमसे
कभी भी नहीं करूंगा।

पता नहीं ये बात
मेरे ज़ेहन में है
या
तुम्हारे।