भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसके जैसे / रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:03, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम उसके जैसे,
बनने की कोशिश,
कभी मत करना,
क्यों कि तुम,
वो नहीं बन सकते,
लेकिन तुम बहुत कुछ,
बन सकते हो,
जो वे नहीं बन सके।