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इसे ध्यान में रखना / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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जो करना है सो कर ।
जब मरना है तब मर॥
अहसानों का बदला जग में
कुछ भी हो सकता है॥
जिसकी खातिर फूल बिछाए
काँटे बो सकता है ।
इसे ध्यान में रखना ॥

ये बेटे ये भाई
इतनी हुई कमाई ।
समझो आने वाले कल में
सब कुछ ढह सकता है।
सम्बन्धों का यह प्रासाद
पल में बह सकता है ।।
इसे ध्यान में रखना ॥

ये मुस्काकर मिलते
सदा कमल से खिलते ।
मुखड़े पर आभा उतरी है
दिल में दाग़ भरे हैं।
वाणी में मिसरी घोली है
मन में कपट धरे हैं ॥
इसे ध्यान में रखना ॥

अपनेपन की बातें
झूठे रिश्ते-नाते ।
मंज़िल तक तो जाना होगा
तुमको निपट अकेले।
साथ तुम्हारे नहीं रहेंगे
ये जीवन के मेले॥
इसे ध्यान में रखना ॥