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पानी मकाँ अगले क़दमों में / कृश्न कुमार तूर
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पानी मकाँ अगले क़दमों में
इक इक जहाँ अगले क़दमों में
सूरत अगर है यही दिल की
इम्काने-जाँ अगले क़दमों में
है पिछले क़दमों में यह दुनिया
मेरा जहाँ अगले क़दमों में
लिख दें हवाओं के चेहरे पर
अगला निशान अगले क़दमों में
सूरत यही हो सफ़र की ‘तूर’
हर आसमाँ अगले क़दमों में