भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उजाले से अँधेरे तक नहाने वाली / एल्युआर

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:59, 27 दिसम्बर 2009 का अवतरण (उजाले से अँधेरे तक नहाने वाली/ एल्युआर का नाम बदलकर उजाले से अँधेरे तक नहाने वाली / एल्युआर कर दिया)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


उस दिन की दोपहर
चंचल हो लहराती है
समुद्र लहराता है चंचल हो
चंचल हो रेत भी लहराती है
हम प्रशंसा करते हैं
वस्तुओं के क्रम की
पत्थरों के
रोशनी के क्रम की
पल प्रति पल की
मगर वह छाया
मिटती जा रही थी
छटती जा रही थी
वह उदासी
यहाँ
अभिजात्य सी उतरती है
आकाश से शाम
बुझती हुई आग में
सब दुबकते जा रहे हैं
शाम
तू सो सकती है समुद्र में
पहले जैसे
वहाँ तनिक भी रोशनी नहीं है।

मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी