Last modified on 29 दिसम्बर 2009, at 14:18

चेतना / अभियान / महेन्द्र भटनागर

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:18, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रति हृदय में शक्ति दुर्दम,
मूल्य अपना माँगता श्रम,
जागरण का भव्य उत्सव,
सृष्टि का सब मिट गया तम!

विश्व जीवन पा रहा है,
गीत अभिनव गा रहा है,
कर्म का उत्साह-निर्झर
आज उमड़ा जा रहा है!

आज आगे मैं बढूंगा,
आपदाओं से लडूंगा,
राह की दुर्गम सभी
ऊँचाइयों पर जा चढूंगा!

रचनाकाल: 1947